एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023
चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
वो तन्हा मुझे छोड़ कर यूं तेरा जाना याद है
यह सारी सखियाँ मुझे छेड़ें हैं तेरा नाम ले
कैसे भूलूं मैं तुझको अपने अश्कों के जाम ले
दिल यह मेरा खिलौना समझ क्यों तोड़ दिया
कहते थे प्यार मुझसे फिर क्यों मुंह मोड़ लिया
चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
वो तन्हा मुझे छोड़ कर यूं तेरा जाना याद है।
कविता झा'काव्य'अविका
#लेखनी
# आधे अधूरे मिसरे
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 08:35 PM
बेहतरीन
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